जरा सोचिए एक अनुमान के मुताबिक पूरे देश में इस समय मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या 20 करोड़ को पार कर गयी है। ऐसे में अगर किसी एक कम्पनी के पास एक करोड़ भी उपभोक्ता हों। और वह रोज उनसे एक रुपया काट लेती हो तो सोचने वाली बात है कि एक दिन की उस कम्पनी की कमाई क्या होगी। 30 करोड़ रुपये उस कम्पनी को बिना किसी दिक्कत के उसके एकाउन्ट में हर महीने जाते रहेंगे। और हम आप सर पकड़ कर समझौता करके फिर से रिचार्ज करा लेंगे। अगर आंकड़ों को छोड़ पर सामान्यतया ही इस मामले पर विचार करें । तो माथा चकरा जायेगा। क्योंकि रोजाना ही किसी ना किसी के साथ ऐसा होता है। पढ़े लिखे या जागरुक लोग तो कस्टमर केयर से बात करके या उस कम्पनी के सेन्टर पर सम्पर्क कर के कभी कभार बैलेंस वापस पा भी जाते है लेकिन गांव के उन उपभोक्ताओं की सोचिए जो कि मोबाइल में नम्बर डायल करने और रिसीव करने के अलावा और कुछ जानते ही नहीं है। अमूमन बहुत सारे लोग इस तरह की दिक्कतें होने पर थोड़ा सा परेशान होने के बाद सोचते हैं कि दस बीस रुपये के लिए क्या अपना दिमाग खराब करना, चलों फिर से रिचार्ज करा लेते है। लोगों की इसी मानसिकता का फायदा ये मोबाइल कम्पनियां उठा रही है। अगर कायदे से देखा जाय तो यह एक बहुत बड़े घोटाले की शक्ल में सामने आ सकता है।
मोबाइल आज हर व्यक्ति की अनिवार्य जरुरत बन चुकी है। कुकुरमुत्ते की तरह उगती मोबाइल कम्पनियों के आने से उनकी आपसी प्रतिस्पर्धा भी काफी बढ़ गयी है। ऐसे में कम समय में ज्यादा फायदा कमाने का यह चोखा धन्धा है। यही वजह है कि बड़े बड़े इन्डस्ट्रीयल ग्रुप टेलीकॉम के सेक्टर में एन्ट्री मारने को बेताब है। हाल ही में हुआ टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। मंदी के दौर में भी सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाले इस सेक्टर में पैसा लगाना उद्योगपतियों को काफी सेफ लग रहा है। यही वजह है कि टूजी स्पेक्ट्रम के लिए मारामारी मची और इस बीच में दलालों ने खूब चांदी काटी। मामला खुला और अब जांच चल रही है लेकिन इस घोटाले के बाद से यह तो साफ हो गया है कि आज इस सेक्टर की क्रेज और इसमें होने वाला मुनाफा कितना बढ़ चुका है।
मोबाइल कम्पनियों के ओर से कई स्तरों पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। मोबाइल टॉवर लगवाने से लेकर, कनेक्शन देने और फिर उसमें तमाम प्रकार की सर्विसेज एक्टीवेट करने का सब्जबाग दिखाकर उपभोक्ताओं को ठगा जा रहा है। आप अगर रिचार्ज कराने जा रहे है तो हो सकता है कि उसका बैलेंस आपको ना मिले क्योंकि अगर रिचार्ज कराने के एक घंटे पहले कम्पनी ने अपना स्कीम बदल दिया तो वह पैसा बिना आपसे पूछे किसी सर्विस के रुप में एक्टिवेट हो सकता है। अब आप सेन्टर से लेकर दुकान तक सर खपाते रहिए कोई पूछने वाला नहीं आयेगा। सवाल यह है कि इतना सबकुछ एकदम से खुलेआम होने के बावजूद कोई भी सरकारी एजेंसी या ट्राई इसपर कोई कार्रवाई क्यों नहीं करती । क्या सिर्फ अनचाही कॉल्स रोक देने के नियम बना देने भर से धोखाधड़ी पर लगाम लग जायेगी। मोबाइल जैसे गैजेट में जिस तरह से सुविधाएं बढ़ी है उनके हिसाब से लोगों की जेब भी कट रही है। कॉलर ट्यून, फन जोक्स, थ्री जी, शायरी एलर्ट, म्यूजिक स्टेशन ये सभी सर्विसेज यूं तो बड़ी अट्रेक्टिव लगती है मगर जिसने भी इसे एक्टिवेट कराया उसे सर पकड़ कर रोना पड़ता है। सवाल ये है कि आखिर कब तक इसपर लगाम लगेगी ? साफ है ट्राई खुली आंखो से देखकर भी मक्खी निगल रही है। इसकी जांच होनी जरुरी है। अगर ऐसा हुआ तो निश्चित रुप से देश के बड़े घोटालों में मोबाइल कम्पनियों का ये सर्विसेज घोटाला
अपने शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए हमेशा Yogasan करे
ReplyDeleteExcellent information, I like your blog.
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